राजस्थान की सियासत में अभी सबसे बड़ा सवाल ये है कि सीएम गहलोत और सचिन पायलट गुट में आखिर कितने-कितने विधायक हैं? गहलोत का दावा है कि उनके पास 109 विधायक हैं। वहीं, पायलट दावा करते हैं कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है।

मगर सूत्रों की मानें तो पायलट खेमे में 3 निर्दलीयों समेत कुल 25 विधायक थे। मगर इनमें से 3 कांग्रेस विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया। ये मानेसर कैंप से लौटकर गहलोत खेमे में शामिल हो गए हैं। ऐसे में अब पायलट गुट में 22 विधायक ही बचे हैं। यानी इतने विधायक नहीं हैं कि गहलोत सरकार को गिराया जा सके।

ऐसे में पायलट के सियासी जहाज का संतुलन फिलहाल बिगड़ गया है। हालांकि, पायलट खेमे को अब भी उम्मीद है कि वे 30 विधायकों का समर्थन जुटा लेंगे।

ये है टीम पायलट

दीपेंद्र सिंह शेखावत, हेमाराम चौधरी, इंद्राज गुर्जर, जीआर खटाणा, मुकेश भाकर, भंवरलाल शर्मा, वेद प्रकाश सोलंकी, राकेश पारीक, हरीश मीणा, रमेश मीणा, पीआर मीणा, विश्वेंद्र सिंह, रामनिवास गावड़िया, अमर सिंह जाटव, गजेंद्र शक्तावत, बृजेंद्र सिंह ओला, सुरेश मोदी, मुरारीलाल मीणा।

3 निर्दलीय विधायक- खुशवीर सिंह, सुरेश टांक, ओम प्रकाश हुड़ला

वो जिनसे उम्मीद थी, पर दूर रहे

कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट सहित कुल 8 गुर्जर विधायक हैं। इनमें बसपा से शामिल जोगेंदर सिंह अवाना, पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह, जीआर खटाणा, इंद्राज सिंह गुर्जर, खेल मंत्री अशोक चांदना, शकुंतला रावत एवं राजेंद्र विधूड़ी हैं। पायलट के साथ सिर्फ दो विधायक खटाणा और इंद्राज ही रह गए हैं।

चेतन डूडी, दानिश अबरार, रोहित बोहरा पहले पायलट के साथ थे, अब ये सीएम गहलोत के खेमे में शामिल हो गए हैं।

पायलट समर्थकों को उम्मीद थी कि उनके खेमे में 13 निर्दलीयों में से कम से कम आधे आ जाएंगे। मगर 3 ही आए। बीटीपी के दो तटस्थ की भूमिका में आ गए। वहीं, सीपीएम के एक विधायक ने खुलकर गहलोत का समर्थन कर दिया।

इन्होंने चौंकाया : सचिन पायलट को सबसे ज्यादा उम्मीद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से थी। क्योंकि, सत्ता एवं संगठन के करीब 6 साल में पायलट ने उन्हें जिलाध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री तक बनवाया, लेकिन खाचरियावास ने उनका साथ छोड़ दिया, जिससे पायलट को झटका लगा।

उनके खेमे से उदयलाल आंजणा, प्रमोद जैन भाया, प्रशांत बैरवा, सुदर्शन सिंह रावत, दीपचंद खेरिया, वीरेंद्र सिंह, रामनारायण मीणा एवं जाहिदा सहित और कई नाम लिए जा रहे थे। लेकिन ये गहलोत खेमे में हैं। इनके अलावा और भी नाम हो सकते हैं, पर वे खुलकर चर्चा में नहीं आए हैं।