राजस्थान की सियासत में 10 दिन से छिड़े सियासी संग्राम का साेमवार काे सबसे बड़ा दिन है। इस दिन सुबह 10 बजे हाईकोर्ट की खंडपीठ सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकाें काे स्पीकर की ओर से जारी अयाेग्यता नाेटिस पर सुनवाई करेगी। कोर्ट चाहे जो  फैसला करे, उससे प्रदेश की सियासत की नई दिशा और दशा तय होगी। साथ ही यह भी निश्चित है कि फैसला चाहे पायलट खेमे के पक्ष में आए या स्पीकर के, यह सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा।

बता दें कि मुख्य सचेतक महेश जाेशी की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. सीपी जाेशी ने गत मंगलवार काे पायलट सहित उनके 19 विधायकाें काे अयाेग्यता संबंधी नाेटिस जारी किया था। इसे पायलट खेमे ने हाईकाेर्ट में चुनाैती दी। हाईकाेर्ट की खंडपीठ ने स्पीकर काे इन नाेटिस पर 21 जुलाई तक कार्यवाही नहीं करने का आदेश दिया और मामले की सुनवाई 20 जुलाई काे तय की।

मुख्य सचेतक जाेशी ने आराेप लगाया था कि कांग्रेस की विधायक दल की बैठक में हाजिर हाेने के लिए व्हिप जारी हाेने के बावजूद ये विधायक नहीं आए। इन पर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। स्पीकर अयोग्यता के नाेटिस के जरिये पायलट सहित सभी 19 विधायकाें की सदस्यता रद्‌द कर सकते हैं। 

दूसरी ओर, खरीद-फरोख्त को लेकर जारी ऑडियो का मामला रविवार को भी गर्माया रहा। फोन टेप किए जाने के मुद्‌दे पर भाजपा दूसरे दिन भी कांग्रेस पर हमलावर रही। भाजपा ने सवाल खड़े किए कि प्रदेश में अस्थिरता का माहौल है और संवैधानिक संकट है, इसके बावजूद कांग्रेस जोड़ तोड़ में लगी है।

कांग्रेस ऑडियो में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के शामिल होने का आरोप लगाते हुए बोलीं कि जांच एजेंसियों को उनसे पूछताछ नहीं करने दी जा रही। शेखावत को पद छोड़ना चाहिए। शेखावत ने भी ट्वीट में कहा कि प्रदेश में बलात्कार व हत्या जैसी झकझोरने वाली घटनाएं हो रही हैं और गहलोत सरकार होटल में मुगल-ए-आजम देखने में मशगूल है।

पायलट खेमे के पक्ष में फैसला आया तो...पायलट सहित उनके सभी 19 विधायकाें की विधायिकी कायम रहेगी। पायलट और मजबूत नेता बनकर उभरेंगे।

1. गिरफ्तारी का : गहलोत विधानसभा सत्र बुलाकर बहुमत साबित कर सकते हैं। नियमों के मुताबिक फ्लोर टेस्ट के लिए व्हिप जारी किया जा सकता है। इसमें पायलट समेत सभी बागी 19 विधायकों को भी आना होगा। इनमें कुछ के खिलाफ एसओजी में केस दर्ज हैं। ऐसे में राजस्थान में प्रवेश करते ही इनकी गिरफ्तारी हो सकती है।
2. सदस्यता जाने का : व्हिप जारी होता है तो फ्लोर टेस्ट में पायलट समेत सभी 19 विधायकों को भी कांग्रेस के पक्ष में वोट करना होगा नहीं तो सदस्यता जाने की आशंका। 

गहलोत को ये खतरा

सरकार के अल्पमत में आने का : अगर पायलट खेमा फ्लोर टेस्ट में शामिल होने में कामयाब रहता है और व्हिप के खिलाफ जाकर गहलोत सरकार के विरोध में वोट करता है तो उसे अल्पमत में ला सकता है। हालांकि इसके लिए उन्हें दावे के मुताबिक 25 या इससे अधिक विधायकों का समर्थन हासिल होना जरूरी होगा।

स्पीकर के पक्ष में आया तो...स्पीकर 19 विधायकों की सदस्यता खारिज कर सकते हैं। असल फायदा सरकार यानी अशोक गहलोत को मिलेगा।

गहलोत का प्रभाव बढ़ेगा : पायलट खेमे की हार से अशोक गहलोत का सियासी कद और मजबूत होगा। सरकार की बाड़ाबंदी में शामिल विधायकों में भी अच्छा मैसेज जाएगा और गहलोत के प्रति उनका भरोसा बढ़ेगा।

मामले के पटाक्षेप की कोशिश : गहलोत इसी सप्ताह इस पूरे प्रकरण का पटाक्षेप करने का प्रयास करेंगे। इसमें संभावना यह भी है कि जो विधायक बाड़ाबंदी में मौजूद हैं उन्हें खुश करने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार कर कुछ को जगह दी जाए। राजनीतिक नियुक्तियां भी होंगी।

पायलट को ये खतरा

पार्टी से बाहर किए जाने का : गहलोत जो फैसले ले रहे हैं उन्हें आलाकमान भी मान रहा है। ऑडियो कांड में विधायक विश्वेंद्र सिंह व भंवर लाल शर्मा को पार्टी से निलंबित करा चुके। सचिन व अन्य बागी विधायक पार्टी की सदस्यता से निलंबित किए जा चुके। अब पायलट को पार्टी से बाहर किए जाने की संभावना बन जाएगी।

सरकार व पायलट चाहे जितने गिनाएं... मैजिक नंबर ये कि गहलोत सरकार के बाड़े में 100 विधायक, 100 बाहर

गहलोत व पायलट खेमा विधायकों को लेकर अपने-अपने आंकड़े गिना रहा है, लेकिन मोटे तौर पर देखा जाए तो कुल 200 विधायकों में से 100 विधायक गहलोत सरकार की बाड़ेबंदी में हैं और बाकी 100 बाहर।

यूं समझिए : कुल 200 विधायकों में कांग्रेस के 107 हैं, इनमें से पायलट खेमे के 19 कम करें ताे 88 रह जाते हैं। इनमें भी बीमार चले रहे कांग्रेस के मा. भंवरलाल व स्पीकर जोशी बाड़े से बाहर हैं यानी यह संख्या 86 रह जाती है। सरकार के बाड़े में आरएलडी का 1, बीटीपी के 2, माकपा का 1 व कुल 13 निर्दलीयों में से 10 भी हैं। ऐसे में 100 विधायक हुए।

दूसरी ओर, भाजपा के 72 विधायक हैं। उसके समर्थक आरएलपी के 3 के अलावा माकपा का 1, पायलट गुट के 19 व 3 निर्दलीय सरकार के बाड़े से बाहर हैं। कुल 200 विधायकों पर बहुमत का आंकड़ा 101 है। फ्लोर टेस्ट में एक भी विधायक इधर-उधर हुआ तो सरकार पर संकट बढ़ना तय है। ऐसे में स्पीकर जोशी भी वोट कर सकेंगे। हालांकि गहलोत सरकार का दावा है कि 109 विधायकों का समर्थन है।